THE BASIC PRINCIPLES OF BAGLAMUKHI SHABHAR MANTRA

The Basic Principles Of baglamukhi shabhar mantra

The Basic Principles Of baglamukhi shabhar mantra

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Then by retaining ‘Dakshina’ or some presents within the hand in the Woman, look for her blessings and chant this mantra a single hundred and eight instances inside the evening and pray once more to punish the enemy.

बगलामुखी तंत्र साधना के जो मत्रं है तथा वेदोक्त पूजन है, उनके प्रभाव को देखते हुए क्या बगलामुखी शाबर मंत्रों का प्रभाव ज़्यादा है?

Any one can chant Shabar mantras without having limitations depending on gender, caste, or faith. Nonetheless, it's advisable to tactic a knowledgeable guru or spiritual guideline to be aware of the right pronunciation and which means of the mantras.

“अयं हरिं बगलामुखी सर्व दुष्टानं वचं मुख पदं स्तम्भया

श्रीबगला- पटलोक्त ध्यान ( पीताम्बरा ध्यान मंत्र )

इन दो बगला-शाबर मन्त्रों के अतिरिक्त भी एक अन्य शाबर मंत्र गुरु-प्रसाद स्वरूप हमें प्राप्त हुआ था, जिसका उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूं। इस मन्त्र का विधान यह है कि सर्वप्रथम भगवती का पूजन करके इस मन्त्र का दस हजार की संख्या में जप करने हेतु संकल्पित होना चाहिए। तदोपरान्त एक निश्चित अवधि में जप पूर्ण करके एक हजार की संख्या में इसका हवन ‘मालकांगनी’ से करना चाहिए। तदोपरान्त तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण गुड़ोदक से करें। इस प्रकार इस मन्त्र का अनुष्ठान पूर्ण होता है। फिर नित्य-प्रति एक माला इस मन्त्र की जपते रहना चाहिए। इस मन्त्र का प्रभाव भी अचूक है अतः निश्चित रूप से साधक के प्रत्येक अभीष्ट read more की पूर्ति होती है। मन्त्र इस प्रकार है

पीयूषोदधि-मध्य – चारु – विलसद् – रत्नोज्ज्वले मण्डपे ।

Now visualize the Goddess and pray for the results of the sadhana. Now whilst pouring drinking water slowly on her ft, feel with your mind, “I'm cleaning the Goddess' feet.



Chanting the Gorakhnath Shabar mantra is believed to invoke divine energies and produce about good alterations in life. They will assist in attracting wealth, accomplishment, love, and defense from destructive influences.

“ૐ ह्रीं बगलामुखी सर्वं ध्रुवं वाचं मुखं पदं स्तम्भया जीवाहं किलोक् किलोक बनसाय ह्रीं ॐ स्वाहा”

अर्थात् सुवर्ण के आसन पर स्थित, तीन नेत्रोंवाली, पीताम्बर से उल्लसित, सुवर्ण की भाँति कान्ति- मय अङ्गोवाली, जिनके मणि-मय मुकुट में चन्द्र चमक रहा है, कण्ठ में सुन्दर चम्पा पुष्प की माला शोभित है, जो अपने चार हाथों में- १.

सर्व-विद्याकर्षिणीं च, सर्व-प्रज्ञापहारिणीम् । भजेऽहं चास्त्र-बगलां,सर्वाकर्षण-कर्मसु ।।

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